अध्याय:11 विद्रोही और राज

NCERT SOLUTION CLASS XII HISTORY IN HINDI
अध्याय:11 विद्रोही और राज
1.बहुत सारे स्थानों पर विद्रोही सिपाहियों ने नेतृत्व सँभालने के लिए पुराने शासकों से क्या आग्रह किया ?
उत्तर : बहुत सारे स्थानों पर विद्रोही सिपाहियों ने नतृत्व सँभालने के लिए पुराने शासकों से आग्रह किया की वे उन्हें आशीर्वाद दें और विद्रोही को नेतृत्व प्रदान करें l उदाहरण के लिए 10 मई, 1857 को मराठे छावनी में विद्रोह करने वाले सिपाही जब 11-12 मई को दिल्ली के लाल किलेपहुँचेतो उन्होंने बिना शिष्टाचार का पालन किए हुए ही किले में घुसकर बहादुर शाह से माँग की थी की उन्हें अपना आशीर्वाद दे l सिपाहियों से घिरे बहादुरशाह के पास उनकी बात मानने के आलावा और कोई चारा न था l इस तरह विद्रोह ने एक वैधता हासिल कर ली क्योंकि अब उसविद्रोहकोमुगल बादशाह के नाम पर चलाया जा सकता था l
2.उन साक्ष्यों के बारे में चर्चा कीजिए जिनसे पता चलता है की विद्रोह योजनाबद्ध और समन्वित ढंग से काम कर रहे थे ?
उत्तर : विद्रोह से संबंधित निम्न स्रोत हमें यह साक्ष्य देते हैं की विद्रोही योजनाबद्ध और समन्वित ढंग से काम कर रहे थे l
1.      उदाहरण के लिए एक साक्ष्य से पता चलता है की कलकत्ताके पास एक सैनिक शिविर में जब एक ब्राह्मण जाती के सिपाही से निम्न जाती के सिपाही ने पानी पिने का लोटा माँगा तो उसने मना करदिया l ऐसे व्यवहार को देख कर उस व्यक्ति ने जो यह जनता था की नए कारतूस जिन पर गाय और सूअर की चर्बी के केवर लगे होंगे उन्हें मुँह से काटकर रायफल में भरना अनिवार्य होगा यह बात फैला दी l
2.      ब्राह्मण सिपाही ने ये बात पुरे छावनी में फैला दी और फिर एक छवनी से अनेक छावनी में ये बात फैल गई l और फिर विद्रोह होना शुरू होगया और हर छावनी में विद्रोह का घटनाक्रम कमाबेश एक जैसा था l
3.1857 के घटनाक्रम को निर्धारित करने में धार्मिक विश्वासों की किस हद तक भूमिका थी ?
उत्तर :1857 के घटनाक्रम को निर्धारित करने में धार्मिक विश्वासों की निम्न रूप से भूमिका थी l
1.      बैरकपुर की घटना जिसका संबंध गाय और सूअर की चर्बी से लिपटे कारतूसों से था ऐसा ही हुआ जब मेरठ के सिपाहियों ने भी कारतूस मुँह में लेने से मना करदिया तो फिरंगी सिपाहियों के द्वारा मजबूर करने पर उनलोगों ने फिंगी सिपाहियों का वध कर डाला और दिल्ली आगये l
2.      अनेक स्थानों पर विद्रोह का संदेश आम लोगों के माध्यम से तथा धार्मिक लोगों के द्वारा भी फैलाया गयाl उदाहरण के तौर पर लखनऊ में अवध पर कब्जे के बाद बहुत सारे धार्मिक नेता और स्वंय भू-पैगम्बर प्रचारक ब्रिटिश राज को नेस्तनाबूद करने का अलख जगा रहे थे l
3.      सिपाहियों ने जगह-जगह छावनियों में कहलवाया की यदि वे गाय और सूअर की चर्बी के कारतूसों को मुँह से लगायेंगें तो उनकी जातिऔरधर्म दोनों भ्रष्ट हो जाएँगे l अंग्रेजों ने सिपाहियों को बहुत समझाया लेकिन वो टस से मस नहीं हुए l 
4.विद्रोहियों के बिच एकता स्थापित करने के लिए क्या तरीके अपनाए गए ?
उत्तर : विद्रोहियों के बिच एकता स्थापित करने के लिए निम्न तरीके अपनाए गए :
1.      हिंदू और मुसलमानों को चर्बी के कारतूस, आटे में सूअर और गाय की हड्डियोंका मिक्चर बनाकर, प्लासी की लड़ाई के 100 साल पुरे होते ही भारत से अंग्रेजों की वापसी और मिलकर विद्रोह में अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ने की भावना पैदा करके ऐता पैदा की गई l अनेक स्थानों पर विद्रोहियों ने स्त्रियों और पुरुषों दोनों का सहयोग लिया ताकि समाज में लिंग भेदभाव कम हो l
2.      हिंदू और मुसलमानों ने मिलकर मुगल सम्राट बहादुरशाह का आशीर्वाद प्राप्त किया ताकि विद्रोह को वैधता हासिल हो सके और मुगल बादशाह के नाम से विद्रोह को चलाया जा सके l
3.      विद्रोहियों ने मिलकर एक सामान्य शत्रु फिरंगियों का सामना किया l उन्होंने दोनों समुदायों में लोकप्रिय तिन भाषाओँ हिंदी, उर्दू, और फारसी में अपीलें जारी कीं l
5. अंग्रेजों ने विद्रोह को कुचलने के लिए क्या कदम उठाया ?
उत्तर : अंग्रेजों ने विद्रोह को कुचलने के लिए निम्न कदम उठाए
1.      उत्तर भारत कोदोबाराजितने के लिए टुकड़ियों को रवाना करने से पहले अंग्रेजों ने उपद्रव शांत करने के लिए फौजियों की आसानी के लिए कई कानून पारित किये गए l
2.      मई और जून 1857 में पास किए गए कई कानूनों के द्वारान केवल समूचे उत्तर भारत में मार्शल लो लागु कर दिया गया बल्कि फौजी अफसरों और यहाँ तक की आम अंग्रेजों को भी ऐसे हिन्दुस्तानियों पर मुकदमा चलाने और उनको सजा देने का अधिकार दे दिया गया जिन पर विद्रोह में शामिल होने का शक था ।
3.      कानून और मुकदमे की सामान्य प्रक्रिया रद्द कर दी गई थी और यह सपष्ट कर दिया गया था की विद्रोह की केवल एक ही सजा हो सकती है-सजा-ए-मौत l
6.अवध में विद्रोह इतना व्यापक क्यों था ? किसान, ताल्लुकदार और जमींदार उसमें क्यों शामिल हुए ?
उत्तर : अवध में विद्रोह की व्यापकता के कारण :
1.      लार्ड डलहौजी ने 1851 में यह निर्णय ले लिया था की किसी न किसी बहाने से अवध को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाया जायेगा l पाँचसाल के बाद उसने इस रियासत को ब्रिटिश साम्राज्य का अंग घोषित कर दिया गया l यद्दपि अवध अंग्रेजों का मित्र राज्य था लेकिन वहाँ की जमीन नील और कपास की खेती के लिए बहुत उचित थी l इस इलाके को उत्तरी भारत के बड़े बाजार के रूप में विकसित किया जा सकता था l अवध के नवाब वाजिद अली शाह को यह कहते हुए गद्दी से हटाकर कलकत्ता भेझ दिया की वो शासक अच्छीतरह नही चला रहा था l
2.      अवध को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाने से अवध की जनता को गहरी भावनात्मक चौट पहुँची थी l इस भवनात्मक उथल-पुथल को भौतिक क्षति के अहसास से और बल मिला l
3.      अवध जैसे जिन इलाकों में 1857 के दौरान प्रतिरोध बेहद सघन और लंबा चला था वहाँ लड़ाई की बागडोर असल में ताल्लुक्दारों और उनके किसानों के हाथ में थी l बहुत सारे ताल्लुक्दार अवध के नवाब के प्रति निष्ठा रखते थे इसलिए वे अंग्रेजों से लोहा लेने के लिए लखनऊ जाकर बेगम हजरत महल के खेमे में शामिल हो गए l उनमे से कुछ तो बेगम की पराजय के बादभी उनके साथ डटे रहे l
7.विद्रोही क्या चाहते थे ? विभिन्न सामाजिक समूहों की दृष्टि में कितना फर्क था
उत्तर : 1857 के विद्रोह में विभिन्न वर्गों ने भाग लिया था l उनके निहित स्वार्थ, उद्देश्य, अलग-अलग थे इसलिए वे अलग-अलग चाहत रखते थे l विभिन्न सामाजिक समूहों की दृष्टि से उनमें पर्याप्त अंतर भी था इन दोनों पहलुओं पर हम निम्न तरह से विचार व्यक्त कर सकते हैं
1.      सैनिक : 1857 के विद्रोह को शुरू करने वाले विभिन्न सैनिक छावनियों के सिपाही थे l सिपाही अपने धर्म और भावनाओं की रक्षा चाहते थे और इसलिए उन्होंने चर्बी वाले कारतूसों का प्रयोग करने से मना कर दिया l
2.      किसान, जमींदार, ताल्लुकदार, जोतदार आदि :
3.      समाज के सभी वर्गों के लोग भू राजस्व कम करना चाहते थे l अपनी जमीन पर अधिकतम, तालुक्य में प्राचीन स्वेच्छा से स्थानीय लोगों से ताल्लुक और जोतदार भू-व्यवस्थाऔर लगान आदि की वसूली में उदारता चाहते थे l
4.      सामान्य लोग, व्यापारी और साहूकार : सामान्य लोग अपने पैतृक व्यवसाओं में अंग्रेजों के हस्तक्षेप को पसंद नहीं करते थे l व्यापारी आतंरिक और बाहिरीव्यापार मेंछूट और कम्पनी के व्यापारियों और सौदागरों की तरह अपने हित के लिए समान चुंगी, भाड़े और स्वतंत्र रूप से व्यापार करने की छूट चाहते थे l
5.      रुढ़िवादी : रुढ़िवादी हिंदू और मुसलमान पूर्णतया इसाई मिशनरियों की गतिविधियों पर नियंत्रण चाहते थे l वे पाश्चात्य शिक्षा, साहित्य और संस्कृतिक के विरुद्ध थे l वे सती प्रथा, बाल विवाह, बहुपत्नी विवाह, विधवा विवाह पर लगे प्रतिबंध आदि में किसी भी प्रकार का सरकारी हस्तक्षेप पसंद नहीं करते थे l
8.1857 के विद्रोह के बारे में चित्रों से क्या पता चलता है ? इतिहासकार इन चित्रों का किस तरह विश्लेषण करते हैं ?
उत्तर : चित्र नं. 1 : बहादुरशाह जफर के चित्र से सपष्ट है की वहउम्र के हिसाब से बहुत वृद्ध हो चुके थे l उसका केवल लाल किले और उसके आसपास के कुछ ही इलाके पर नियंत्रण था l वह पूरी तरह शक्तिहीन हो चूका था l जब मेरठ की छावनी से आने वाले सिपाहियों का जत्था लाल किले में दाखिल हुआ तो वह विद्रोहियों को शिष्टाचार का पालन करने के लिए विवश तक न कर सका l
इतिहासकार इस चित्र से यह निष्कर्ष निकालते हैं की बहादुरशाह न चाहते हुए विद्रोह का औपचारिक नेता बना l उसने 1857 के विद्रोह को वैधता देने की कोशिश की l
चित्र नं. 2 : लखनऊ में ब्रिटिश लोगों के खिलाफ हमले में आम लोग भी सिपाहियों के साथ जा जुटे थे, की पुष्टि होती है l इस चित्र से यह भी सपष्ट होता है की कम्पनी राज्य में साधारण लोग भी दुखी थे l सिपाहियों की तरह उनमे भी रोष था l इस रोष के कारण विदेशी शासन और उसके द्वारा किए गए आर्थिक शोषण, लोगों की धार्मिक और सामाजिक भावनाओं से किया गया खिलवाड़, सांस्कृतिक जीवन में हस्तक्षेप, विदेशी भाषाएँ, खानपानके ढंग आदि थोपना उनको विद्रोही बनाने के लिए उत्तर दाई थे l
चित्र नं. 3 :यह चित्र रानी लक्ष्मीबाई के एक प्रचालित भाव पर आधारित है जो बताता है की बूंदेलखंड की रानी एक महान वीरंगना थी जिसने अंग्रेजों के विरुद्ध तलवार उठाई l लेकिन रानी लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गई l
चित्र नं. 4 : अवध के एक जमींदार का है l जो 1880 से संबंधित है l इससे सपष्ट होता है की जमींदार विद्रोह के बाद पुन: सरकार के नजदीक आ गए l उन्हें अंग्रेजों ने पुरानिजमींदारियाँवापस दे दीं, इच्छानुसार रैयतों पर लगान बढ़ा सके l मोटी रकम कमा सके, चित्र में जमींदार की पोशाक उसकी अच्छी स्थिति और समृद्धि का प्रतीक है l
चित्र नं. 5 : यूरोपीय ढंग की वर्दी पहने बंगाल के सिपाही हैं l यहाँ कलाकार सिपाहियों की वर्दी का मजाक उड़ा रहा है l इन तस्वीरों के जरिए शायद यह जताने का प्रयास किया जा रहा है की पश्चिमी पोशाक पहन कर भी हिंदुस्तानी सुंदर नहीं दिख सकते l
चित्र नं 6 : इस चित्र से सपष्ट होता है की अंग्रेज संकीर्ण धार्मिक प्रवृत्ति के लोग थे l उन्होंने भारत में उस समय के प्रमुख धर्मावलंबियों के धार्मिक स्थानों को अपने अत्यचारों का निशाना बनाया था l उन्होंने अनेक ऐतिहासिक स्मारकों और इमारतों को ध्वस्त किया l
9.एक चित्र और एक लिखित पाठ को चुनकर किन्हीं दो स्रोतों की पड़ताल कीजिए और इस बारे में चर्चा कीजिए की उनसे विजेताओं और पराजितों के दृष्टिकोण के बारे में क्या पता चलता है l
उत्तर : हम पाठ्यपुस्तक के चित्र नं 18 को इस अध्याय में से चुनते हैं l यह चित्र हमें बताता है की अंग्रेजी सत्ता के विरुद्ध केवल पुरुष ही नहीं लड़ें बल्कि स्त्रियों के रूप में अनेक लोग रहे जैसे की लक्ष्मीबाई वीर महिलाओं का प्रतीक थीं l
स्रोत नं. 1 : 1857 के विद्रोह के दौरानी दिल्ली और अन्य शहरों में खूब उथल-पुथल हुआ l लोगों का सामान्य जीवन प्रभावित हुआ l उनकी सामान्य गतिविधियाँ अस्तव्यस्त हो गई l सब्जियों के भाव आसमान छूने लगे l जीवन की आवश्यकता वस्तुओं का अभाव हो गया l या तो सब्जियाँ लोगों को मिलती नहीं थी और कहीं दिखाई देती थीं तो वे बासी होती थीं l अनेक लोगों ने अपना काम छोड़ दिया जैसे पानी भरने वाले लोगों ने पानी भरना छोड़ दिया l पानी भरने का काम कुलीन लोगों के लिए पीड़ाजनक था l कई बेचारे भद्रजन अपना काम करने के लिए खुद मजबूर हुए l
स्रोत नं. 2 : इसमें हमे विजेताओं और पराजितों के बारे में निम्न जानकारी मिलती है l 

विद्रोह का कारण सैनिक अवज्ञा के रूप में शुरू हुआ l भारतीय मूल के लोग जो इसाई थे वे चाहे कम्पनी की पुलिस की नौकरी कररहे हों वे भी ब्रिटिश मजिस्ट्रेटों और आधिकारियों के शक के दायरे में आ गए l जो सिपाही शिष्टाचारवश एक मुस्लिम मजिस्ट्रेट से मिलने गया जो की सिपाही सिस्टन अवध में तैनात था l मजिस्ट्रेट ने  सिपाही से अवध के हालात जानने की कोशिश की l उसने कहा यदि उसे अवध में काम मिला है तो उसे वहाँ की स्थिति के बारे में अंग्रेज अधिकारीयों को समय-समय पर ठीक जानकारी दे दिजाएगी l अंग्रेज अधिकारी को मुस्लिम तहसीलदार ने अंग्रेज सिपाहियों को यह भरोसा दिलाने का प्रयास किया की चाहे विद्रोही कुछ भी दावा करें, शुरू में वे कामयाब भी रहें पर अंततः विजय अंग्रेजी सरकार या कम्पनी सरकार की होगी,मगर बाद में पता चला की वह मुस्लिम तहसीलदार जो मजिस्ट्रेट के कमरे में प्रवेश कर रहा था वह बिजनौर के विद्रोहियों का सबसे बड़ा नेता था l 

Comments

  1. Very very very very very very very very very very very very very very very very very very very very very very very very very very very very very very very very very very very very good .

    ReplyDelete

Post a Comment